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( १६९ ) घोहा-तत्त्वारथ इस सूत्र के, कर्ता उमा मुनीश ।
गृद्धपिच्छ लक्षित सु लख, बन्दी स्वामिन ईश ॥४॥ अध्या पहिले चारलौं, पहिलो जीव बखान । पंचम अध्याये विष, पुद्गल तत्त्व बखान ॥५॥ प्राधव छट्ट सातमें, अष्टम बन्ध निदान । नवमे सवर निर्जरा, दशमें मोक्ष महान ॥६॥ धर्णन सातों तत्त्व को, दश अध्याये माहि । यथाशक्ति अवधारियो, कियो सुनो शक नाहिं ॥७॥ धारनकी जो शक्ति नहि, सरधा करियो जान । सरधावान सु जीवड़ा, अजर अमर हू मान । तपकरना व्रतधारना, संयम शरण निहार । जीवदया व्रतपालना, अन्त समाधि सु सार ।।६।। छोटेलाल या विध कहैं, मनवचतन निरधार । चारोंगति दुख मेटिक, कर कर्म गति छार ॥१०॥
कविनाम ठाम वर्णन दोहा-जिला अलीगढ़ जानियो, मेडू ग्राम सु ठाम ।
मोतीलाल सु पूत हौं, छोटेलाल सु नाम ॥१॥ जैसवार कुल जान मम, श्रेणी बीसा जान । वंश इक्ष्वाक महानमे, लयो जन्म भुवि पान ॥२॥ काशी नगर सुपायक, शैली संगति पाय ।। सबको हित सुविचारक, भाषा सूत्र कराय ॥३॥ उदयराज भाई लखौ, शिखरचन्द गुणघाम । तिनप्रसाद भाषा करी, भाषासूत्र सु नाम ॥४॥