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राणी फिर तासो फहै, यह भय पर नाहि, प्राणी पश्चिमसूर्य उदयहए. जिनवाणी सुचि ताहि, प्रारणी वर. १६ । राणी सों नृप फिर वोल्यो. वायन भवन जिनात, प्राणी तेरह तेरह में बन्दे, पूजन करो तत्काल, प्राणो वरत | १७| जयमाला तहां मो मिली प्रायो हूँ तुझ पास, प्राणो श्रव तू मिया मत माने, पूजा भई अवश्य प्राणी वर. । १८ । पूरव दक्षिण में वन्दे, पश्चिम उत्तर जान, प्राणी
मैं मिथ्या नही नाम, मोहि जिनवर की प्राण प्राणी १९ । सुनि राजा से तब कहो, जिन चारण शुभ सार, प्राणी हाई दीप न लाई, मानुष जन विस्तार, प्राणा वरत |२०१ विद्यापति से सुर भयो, रूप घरो शुभ सोय, प्राणी रागो को तुति करो, निश्चय समकित तोय, प्राणी वर. २१ देव कहें अब सुन राणी, मानुपोत्र मिलो जाय, प्राणी तिहतं चय मे मुर भयो, पूत्र नन्दीश्वर श्राय, प्राणी वर. २२ एक भवातर मो रहो, जिन शासन प्रमाण, प्रारणी मिथ्याती माने नहीं, श्रावक निश्चय प्रात, प्रारणी वर. | २३ | सुरचय तहा हथिनापुरी, राज कियो भरपूर, प्राणी परिग्रह तज संयम लियो, करम महागिर चूर, प्रारंगीवर. २४ केवल ज्ञान उपाय कर, मोक्ष गयो मुनिराय, प्राणी शाश्वत सुख विलसं सवा, जन्म-मरण मिटाय, प्रारणीवर २५ अव राणी को सुनो कथा, सयम तीनो सार, प्राणी तप कर चयके सुर भयो, बिलसे सुख अपार, प्रारणी व २३