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जिनको तुमरी धारणागत है, तिनों यमराज डराना है। यह सुजस तुम्हारे सांचेका, सब गायत पेद पुराना है। श्री. जिसने तुमसे पिलदई कहा, सिमसा तुमने दुख हाना है । अघ छोटा मोटा नाशि तुरत, सुम्प दिया तिन्हें मनमाना है। पावर सो शीतल नोर किया, प्रो घोर घटा रामाना है। भोजन पा जिसको पार नहीं मो किया पुचेर समाना है।श्री.६ चिन्तामणि पारस पल्पतम, सुमदायक ये परपाना है । तब दासग के मय दास यही, हमरे मनमे हराना है। तुम भक्तन को सुर इन्द्रपदी, फिर प्राप्ति पर पाना है । पया बात कहाँ पिस्तार घटे, ये पारी मुक्ति ठिकाना है ।श्री. गति बार धौरासी लाख विप, चिन्मूरत मेरा भटका है । हो दोन-गु करुणानिधान, अपनों न मिटा यह लटका है। अब जोग मिला लियसाधन फा, मब विधन सामने हटका है। प्रब विधन हमारे दूर करो, सुखदेड निराफुन घटका है ।यो. गजप्राहमित उद्धार लिया, ज्यों प्रजन तस्फर तारा है। ज्यों सागर गोहदरप किया, मैना का सट हारा है । ज्यो सूली ते सिंहासन और, बेडी को काट विडारा है। क्यों मेरा संकर दूर करो, प्रभु मोफू पारा तुम्हारा है ।श्री. ज्यो फाटफ टेकत पाय चुना, प्रो सांप सुमन कर द्वारा है। ज्यों खरगकुसुम का माल किया,बालक का जहर उतारा है। ज्यों सेठ विपत प्रकचूर पूर, घर लक्ष्मीमुग्य विस्तारा है। त्यों मेरा सङ्कट दूर करो, प्रभु मोक प्राश तुम्हारा है ।श्री.। यद्यपि तुमको रागादि नहीं, यह सत्य सर्वथा जाना है ।