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नव ग्रहो को जापे ही क्लो श्री श्री सूर्यग्रह अरिष्ट निवारक श्री पाश्वनाथ जिनेन्द्राय नमः शान्ति कुरु कुरु स्वाहा ॥१॥ ७७.० जाप्य ।
ॐ ह्री को श्री क्ली चन्द्रारिष्ट निवारक श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय नम शान्ति कुरु कुरु स्वाहा ।।२।। ११००० जाप्य ।
___ *पाही को श्री भीमारिष्ट निवारक पद्मप्रभजिनेन्द्राय नम शान्ति कुरु कुरु स्वाहा ॥२॥ १०००० जाप्य ।
ॐ ह्री को प्रो श्री बुधग्रहारिष्ट निवारक श्री विमल अनन्त धर्म शान्ति कुन्यु पर नमि वर्दमान अष्ट जिनेन्द्रेभ्यो नम शान्ति कुरु कुरु स्वाहा ॥४॥८००० जाप्य ।
ॐ क्रीं ह्री श्री क्ली ऐं गुरु परिष्ट निवारक श्री ऋषभ अजित सभव अभिनन्दन सुमति सुपाश्वं शीतल श्रेयास अष्ट जिनेन्द्र भ्यो नम शान्ति कुरु कुरु स्वाहा ॥५॥१६००० जाप्य ।
ॐ ह्री श्री शुक्रग्रह अरिष्ट निवारक श्री पुष्पदन्त जिनेन्द्राय नमः शान्ति कुरु कुरु स्वाहा ॥६॥ ११००० जाप्य ।
ॐ ह्री क्री श्री शनिग्रह अरिष्ट निवारक श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनेन्द्राय नम शान्ति कुरु कुरु स्वाहा ॥७॥ २३००० जाप्य ।
ॐ ह्री श्री क्ली ही राहु अरिष्ट निवारक श्री नेमिनाथ जिनेन्द्राय नम शान्ति कुरु कुरु स्वाहा ।।९।। १८००० जाप्य ।
ॐ ह्री श्री क्ली ऐ केतु अरिष्ट निवारक मल्लिनाथ जिनेन्द्राय नम शान्ति कुरु कुरु स्वाहा ।।। ७... जाप्य ।
श्री प्रनन्न चतुर्दशी मन्त्र ही अं ह हमी अनन्त केवली भगवान अनन्तदान-लाभ-भोगोपभोगवीर्याभिवृद्धि कुरु कुरु स्वाहा ।