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चांदनपुर के महावीर, तेरी छवि प्यारी । प्रभु भव प्राताप निवार, तुम पद बलिहारी ॥१॥ ॐ ह्री श्री चादनगाव महावीर स्वामिने नम जलम् । मलयागिर और कपूर, केशर ले हरषो । प्रभु भव प्राताप मिटाय, तुम चरणनि परसौं ।चांदन.चिदन। तन्दुल उज्ज्वल अति धोय, थारी मे लाऊ । तुम सन्मुख पुञ्ज चढ़ाय, अक्षयपद पाऊ ।।चादन. अक्षत।। बेला केतकी गुलाब, चंपा कमल लऊ । दे काम बारण करि नाश, तुमरे चरण दऊं ।।चादन.।पुष्प।। फेनी गुंजा पकवान, मोदक ले लीजे । करि क्षुधा रोग निरवार, तुम सम्मुख कीजे ॥चादन. नैवेद्या घृत मे कर्पूर मिलाय, दीपक मे जारो। करि मोह तिमिर को दूर, तुम सन्मुख वारो ॥चादन.॥धूपं।। पिस्ता किसमिस बादाम, श्रीफल लोग सजा । श्री वर्धमान पद राख, पाऊ मोक्ष पदा ॥चाद ॥फलं।। जल गन्ध सु अक्षत पुष्प, चरुवर जोर करो। ले दीप धूप फल मेलि आगे अर्घ करो ॥चांदन.प्रिय।।
____चरणो का अर्घ्य जहां कामधेनु नित प्राय, दुग्ध जु बरसावै । तुम चरणनि दरशन होत, आकुलता जावै ।। जहां छतरी बनी विशाल, अतिशय बहु भारी । हम पूजत मन वच काय, तजि संशय सारी ।। चांदन० ॥