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________________ विग्रह का बीज 24 दोहा जो जो कुछ वीतक हुआ, सभी बताया हाल १ रामचन्द्र फिर अनुज से, बोल उठे तत्काल || दोहा ( राम ) भाई तूने बो दिया, झगड़े का यह बीज । जिसकी यह तलवार वह, नही मामूली चीज || मामूली नही चीज फना, कर दिया शूर अलबेला । है कोई उच्च राजवंशीय, न समझो उसे अकेला ॥ चल चल सेना आने वाली है, कोई रेलम ठेला । देख अभी दीखेगा बन में, भरा हुआ रणमेला | गाना नं० ५३ ( रामचन्द्र जी का लक्ष्मण को कहना ) पहिन वस्त्र अभी तैयार हो जाना मुनासिब है । पानी आने से पहिले ही, बन्ध लाना मुनासिब है || १|| ३६६ ख्याल है सिर्फ सीता का, और बस फिकर न कोई । एक यहां पर रहे दूजे का, जाना ही मुनासिब है || २ || यहां का फैसला किये बिना, आगे न जाना है | जो होता धर्म क्षत्रिय का, वह दर्शाना मुनासिब है ||३|| जो होना था सो हो वीता, ख्याल मन से भुला दीजे । उल्लंघ नीति वह जावे तो, धनुप उठाना मनासिब है ||४||
SR No.010290
Book TitleJain Ramayana Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherBhimsen Shah
Publication Year
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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