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चनमाला
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इस वनमाला को ले जाओ, हम आपकी इज्जत चाहते है । मत घबरायो अव खड़े रहो, हम निर्भय तुम्हे बनाते है ।। अपशब्द सहित यह बतलाओ, किसको तलवार दिखाई है। जो दशरथ नन्दन रामचन्द्र का, लक्ष्मण छोटा भाई है।
__दोहा सिया राम और लखन हैं, सुने भूप ने बैन ।
फेंक दिये हथियार सब, लगे इस तरह कहन ।। प्रभु आप है मुझको ज्ञात नही, सब दोप क्षमा अब कर दीजे। गम्भीर अप्प शक्तिशाली, अपशब्द मेरे सब जर लीजे ।। मै आज सहा प्रसन्न हुआ, क्योकि मन वांछित योग मिला। यह राजघाट सब पापका है, क्या महल खजाना फोज किला
दोहा सीधी दृष्टि जब बने, दुःख सब जाय पलाय ।
रणभूमि मे परस्पर, हुआ प्रेम सुखदाय ।। बोले लक्ष्मण श्रीरामचन्द्र है, दोष क्षमा करने वाले। हम तो सेवक उन चरणो के, जो आज्ञा सिर धरने वाले ॥ फिर उसी समय भूपाल ने जा, श्रीराम को शीश नवाया है। और विनय सहित अति नम्र होकर, कोमल वचन सुनाया है ।
दोहा (राजा) निस्सन्देह मैंने किया, आज महा अपराध
किन्तु दर्शन आपने, दिये अहो धन्यवाद ।। क्षमा सभी अपराध करो, फिर आप पधारो महलो में । शुभ उत्तम बुद्धि कहां प्रभु, हम जैसे बन चर वैलो मे ।।