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रामायण -~~x mmmmmmmmmmmmmmmmmmarrrrrrrrrrrrrrna
नाम अंजना रानी का मै हूँ, वीरन दासी इसकी । नहीं सासरा पिहर हमारा, तो फिर आस करें किसकी। पवन जय संग्राम गए है, केतुमती घर कंकाली। कलंक दिया घर बाहर निकाला, यह हम पर विपदा डारी॥
दोहा प्रतिसूर्य कहने लगा, नयनों में भर नीर । मै पुत्री मामा तेरा, धारो मन मे धीर ॥
चौपाई पुत्र भानजी सखी समेत, बैठे विमान अति दिल हेत। निज नगरी को चला महाराय, हर्प हृदय मे नहीं समाय ।।
दोहा विमान बीच एक झूमका, सुन्दर शब्द रसाल ।
बच्चा लेने उछलता गिरा, धरन तत्काल । माता हुई उदास बदन के, रंग ढंग सब बिगड़ गये। किया रुदन अपार मात क्या, सब ही के दिल धड़क गये । गिरा समझ पर्वत ऊपर, जीने से सभी निराश हुए। प्राण पखेरू समझ लिया, अब इसके परभव बास हुए।
दोहा उसी समय विमान को, नीचे लिया उतार । देखा वच्चा शिला पर, करता सुख संचार ।। कुमर गिरा जिस शिला पर, हो गई चकनाचूर ।
कहे मामा पुण्यवान यह, महाबली अति शूर ॥ उसी समय ले किया प्यार फिर, शीघ्र मात के अंक दिया। जरा मात्र ना लगी चोट यह, समझ नाम बजरंग दिया ।