________________
(१ ) बाराहो प्राणी, नैरुत विदिशे मन प्राणी हो ॥न॥ ॥ ६ ॥ वायव्यकोणें कहीजें, चारित्र ध्यायी सुख ती जें हो ॥ न० ॥ ईशाने तप ध्यावो, उजाल समकित सुख पावो हो । न० ॥ ७ ॥ आसो चैत्रज मामें, जपतां कमि आवे पासें हो ॥ न० ॥ विधिगुं देव वंदीजें, श्रीजिनवर पूजा रचीजें हो ॥ न० ॥ ७ ॥ नव पद जाप जपीजें,यांविल तप नव दिन कीजें हो ॥न७॥ श्रीसिदचक सेवीजें, पंचामृत न्हवण करीजें हो ॥ न० ॥ ५ ॥ चन्द पूरवनो सार, ए मंत्र वडो नवकार हो ॥ न० ॥ बुध नत्तम सागर राया, शिष्य कांतिसागर सुखपाया हो ॥ न ॥ १० ॥ इति ॥४॥
॥अथ चतुर्थ स्तवनं ॥ ॥ किसके.चेने किसके पूत ॥ ए देशी ॥ सेवो रे नवि नावें नवकार, जंपे श्रीगौतम गणधार ॥ नवि सांजलो ॥ हारे संपद थाय ॥ न ॥ हारे संकट जाय ॥ ज० ॥ आशोने चैत्रं हरप अपार, प्राणी गणगुं किजें तेर हजार ॥न ॥१॥ चार वरसने वली पट् मास, ध्यान धरो जावें धरी विश्वास ॥न॥ ध्यायो रे मयासुंदरी श्रीपाल, तेहनो रोग गयो तत काल ॥नम् ॥ २ ।। अष्टकमल दल पूजा रसाल, करी न्हवण बांटयु ततकाल ॥ न० ॥ सातशे मही पति तेहनें रे ध्यान, देही पामी कंचन वान ॥न॥ ॥३॥ महिमा कहेतां एनो नावे पार, समरो तिणे कारण नवकार ॥ ज० ॥ इह नव परजव ये सुख