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(७०) माटे ए लघुसिंहनिःक्रीडित कहियें, ते या प्रमाणेःप्रथम एक उपवास करी पारj करे, वली बे उ पवास करी पार| करे, एम सर्वत्र उपवासें आग ल पारणुं समजी लेवु. पनी एक उपवास, त्रण, बे, चार, त्रण, पांच, चार, ब, पांच, सात, ब, पाठ, सात, नव, बात, नव, सात, आठ, ब, सात, पांच, ब, चार, पांच, त्रण,चार, बे,त्रण,एक, बे,एक, एवी रीतें नपवासो करवाथी एकशोने चोपन दिवस उप वासना थाय, अने तेत्रीश पारणाना दिवसो थाय. जुमले दिन १७७ नाब महीना अने सात दिवसें एक परिपाटीयें एक श्रेणी थाय. एवी चार श्रेणी क रीये तेवारे बे वर्षने अहावीश दिवसें ए तप पूर्ण थाय . तिहां पारणाने दिवसें पहेली श्रेणियें वि गयसहित सर्वकामगुणित रसोपेत जमे, बीजी श्रे पियें नीवी जमे, त्रीजी श्रेणिये जे चोज खातां थ कां हस्त पात्र प्रमुखने लेप लागे नही, एवी अलेप कारी चीज वाल चणकादिक जमे,अने चोथी श्रेणि ना पारणाने दिवसें आयंबिल करे. इति लघुसिंह॥ ___ए महासिंहनिःक्रीडिततप कहे जेः-एमां पण पू
ोक्त लघुसिंह निःक्रीडित तपनी पेठे एक,बे,एक,त्रण, बे, चार, त्रण, पांच, चार, ब, पांच,सात, ब,आठ, सात, नव, बाव, दश, नव, अगीधार, दश, बार, अगीयार, तेर, बार, चौद, तेर, पन्नर, चौद, शोल, पन्नर अने शोल उपवास. एनेज वली पाबा विपरीत