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३०
० तपस्वि प्रभावक रूप स०
३१ प्रत्यादि विद्यानृन प्रभावक रूप स० ३२ चूर्णजनादि सिद्ध प्रावक रूप स० ३३ कविप्रभावक रूप दर्शनायनमः ॥ ३४ जिनशासने कौशल्यरण रूप स० ३५ प्रभावनानूषण रूप
३६ तीर्थसेवा भूषण रूप० ३७ स्थैर्यनूषण रूप स
३८ जिनशासने नक्ति नूपण रूप स०
३७ उपशम गुणरूप स०
४० संवेग गुणरूप स० ४१ निर्वेद गुणरूप स ४२ अनुकंपा गुणरूप० ४३ आस्तिक्य गुण रूप० ४४ परतीर्थिकादि वंदन वर्जनरूप स० ४५ परतीर्थिकादि नमस्कार वर्जनरूप स० ४६ परतीर्थिकादि आलाप वर्जनरूप सद्दर्शनाय ० ४७ परतीर्थिकादि संलाप वर्जनरूप स० ४८ परतीर्थिकादि अनादि दानवर्द्धनरूप स० ४९ परतीर्थिकादि गंध पुष्पादि प्रेषण वर्द्धन रू० ५० राजा नियोगाकार युक्त स०
५१ गणानियोगाकार युक्त स०
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५१ बलानियोगाकारयुक्त० ५३ सुरानियोगाकारयुक्त ० ५४ कांतारवृत्त्याकारयुक्त० ५५ गुरुनिग्रहकारयुक्त ५६ सम्यक्त्व चारित्रं धर्मस्य मूलमिति चिंतनरूप० ॥ ५७ चारित्रं धर्मपुरस्य द्वारमिति चिंतनरूपस०