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(६५४ ) सरवाले श्लोक संख्या ए७१४६ थाय जे. तथा नियुक्तिनी टीका २२५००, हरिनश्सरिकत . १ विशेषावश्यकसूत्र. ए यावश्यक मूल सूत्रनुं वि
शेष परिकर रूप जे. मूल ग्रंथ. ५००० श्लोक श्रीजिननगणिक्षमाश्रमण कृत , एनी लघर त्ति. १४०००, नोकनी ग्रंथना अंतमां कोटाचा र्य कृत लखी , भने टीपमा शेणाचार्यनुं नाम ने. तथा एनी वृह त्ति १७००० श्लोक प्रमाण महनधारी श्रीहेमचंसूरि कृत ने. तेनी टीका न
र्कानुविद्या जैनस्थापनाचार्य कृत ने. १ पारखी सूत्र मूल ३६० संग्ख्या ,एनी टीका संव
त् ११७० मांश्रीयशोदेव सरिये करेली तेनी श्लो
क संख्या २७००,तथा चूणि ५०० श्लोक जे. १ यतिप्रतिक्रमण सूत्र वृत्ति श्लोक संख्या८० जे. २ दशवैकालिक सूत्र. श्रीसिचंनवसूरिकत मूल श्लो कनी ७०० संख्या जे. एनी वृत्ति तिलकाचार्य कृत 3000 श्लोक प्रमाण जे. तथा बीजी वृत्ति श्रीहरिनासूरि कृत ६१० श्लोक ले. तथा श्रीमलय गिरि महाराज कृत तृत्ति. ७७०० श्लो क. तथा चूर्णि ७५०० श्लोक जे. लघुवृत्ति ३७०० श्लोक ने, तथा नियुक्तिनी गाथा ४५०
. तेमज अाधुनिक श्रीसोमसुंदर सूरिकत लघु टीका ४२००, तथा श्रीसमयसुंदर उपाध्याय कृत लघुटीका २६०० जे.