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(६५१) ४ दीवसागरपन्नत्ति संग्रहणी संख्या २५०, एनी
टीका २५०० जे. ६ अंगविद्यापश्नो संख्या 1000 एकटीपमालव्युंडे. ७ ज्योतिषकरंमक पश्नो संख्या ५००, एनी टीका श्रीमलयगिरि महाराजनी करेली ५००० संख्या नी. तेमज गन्हाचार प्रकरण प्रमुख पण . अंग चूलिकानी वृत्ति 300 श्लोक ले, परंतु ए चूलिका सूत्रमा ने किंवा बीजा कोश्मा डे, ते मज उपर लखेला ऋषिनाषित सूत्र तथा सिदि प्राज़त सूत्र थने दीवसागर पन्नत्ति ए पण जे सूत्रोना अंगमां होय तेमां गणवां.
हवे उ बेद ग्रंथनां नाम कहे . १ श्रीनिशीथल्द सूत्र, अध्ययन २०, मूल जुनी टीपमा ७१५ श्लोक जे. एनुं लघुनाष्य७४०० श्लोक ने, तथा चूरी 26000 श्लोक ने. महोटुं नाष्य १२००० श्लोक . ते टीकाने नामें पण कहेवाय ने. सर्व संख्या ४७११५ . २ महा निशीथलेद सूत्र, अध्ययन १३,मूल ४५०० श्लोक , तथा मतांतरें एनी त्रण वांचना ने, एक लघुवाचना ४२००, बीजी मध्य वा
चना १५००, अने वृहछाचना ११600 . ३ बृहत्कल्पच्छेदसूत्र. अध्ययन २४, एनी जुनी टी पमा संख्या ४७३ नी जे. एनी वृत्ति संवत् १३३२ ना वर्षमा बृहबालीय श्रीदेमकीर्तिसूरि