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(६७) ११ श्रीविपाक सूत्र वीश अध्ययन . मूल श्लोक
१२१६,श्रीअनवदेवसूरि कृत टीका ए०० सो कले. सर्वसंख्या २११६. सर्व मली अगीधार अंगनी मूल संख्या ३५६५ए तथा टीका ७३५४४ घने चर्मि २२७०० तथा निर्य क्ति ७०० मली १३२६०३. तथा सूयगडगनी दीपि कानी संख्या जुदीने.एमां आचारांग तथ सूयगडांग नी टीका श्रीशीलंगार्य कृत ने. बाकी नव अंगनी टी का अनयदेवसूरिकत ,मा श्री अजयदेवसूरि, नवां गीवृत्तिकारने नामें उलखाय ने.
हवे बार उपांगन। संख्या लखे . १ श्रीनववा नपांग आचारांग प्रतिब.एनी मूल संख्या १२०० तथा श्रीयन्यदेवसूरि कृत टीका संख्या ३१२५ सर्व संख्या ४३२५. २ श्रीरायप्पसेणी उपांग सूयगडांग प्रतिबद्ध, एनी मूल संख्या २८ १७ तथा श्री मलयगिरि कृत टीका
३७००,सर्व संख्या ५७७७. ३ श्रीनीवानिगम अपांग गणंग प्रतिबद्ध,एनी मूल संख्या ४७०० तथा श्री मलयगिरिकत टीका १४००० तथा लघुत्ति ११०० तथाचूी श्लोक १५०० ३.सर्व संख्या १३००. ४ श्रीपन्नवणा नपांग, श्रीश्यामाचार्यरुत समवा यांग प्रतिब,एनी मूल संख्या • ७७७ तथा श्रीमलयगिरि महाराजनी करेली टीकार ६०००