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(६२४) ४ श्रीवीर मीण पजी २२० वर्षे अश्वमित्र नारा निन्हव र बेदवादि थयो. जेणे सर्व पदार्थ नु पन्या पली मनो नन्द थाय ,एनी प्ररूपणा कर सद्दहणा राखी, ते चोथो निन्हव जाणवो. ५ वीर निर्वाणथी २२७ वर्षे एक समयें जीव वे किरिया वेदे,एवी सद्दहणानो करनार एवो दो कि
यावादी गंगसूरि नामे पांचमो निन्हव थयो. ६ वीर निरवाणथी:४४ वर्षे जीवराशि, अजीव
राशि अने नोजीव शि एवा त्रण राशि मतनो स्थापक बहो निन्हव यो. ७ श्रीवीर निर्वाणथी ५ वर्षे अब स्पष्ट कर्मवा
दी सातमो निन्दव थयो. एटले कर्मजे ले ते अ त्माना प्रदेश साथे (अब के०) मल्या नथी, परंतु सर्पकंचुकीनी पेरें फरसमात्र डे, एवी प्ररूपणानो करनार हतो. ए सर्वनी कथा ग्रंथांतरथी जाणवी. हवे अयोध्यानगरीनुं प्रमाण लखियें यें.
नत्सेधांगुल थकी प्रमाणांगुल अढीगणु महोटं थाय , ते प्रमाणे वार योजन लांबी अने नव योज न पहोलो एवी नगरीना पांचशे पांचशे धनुष्यना च नरखूणा चोशाला १७४३२०) थाय तेवा एक चन शाला मांहे पांचशे धनुष्यना देहधारी मनुष्य दश जण सूझ रहे तो १७४३२०० मनुष्य समाइ शके, एवी रीतें गणतां चक्रवर्तीनी सेन्यादिक परिवारनी गणनानो समावेश थ शकतो नथी.