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(६०५) वा अढाहीपना बेहु बाजुना मली पिस्तालीश लाख योजनमां मनुष्य वसे ने, उपरांत बीजा सर्व दीप स मुशेने विषे तिर्यचगतिना जीवोनो निवास ,ते जंबू छापनो तथा अढोहीपनो जूदो जूदो नकाशो या पुस्त कनी यादिमां ने ते जोवाथी तरत समजाश्यावशे.
हवे ए अढीझोपने विषे जे खेत्रमा मनुष्यो रहे जे, तेनां नाम प्रत्येक दीप याश्रयी लवीयें .यें.
तिहां जंबुद्दीपमां एक नरत, बोजो महा विदेह अने त्रीजो ऐरवत, एत्रण खेत्र, तेमज धातको खंग मां बेनरत, बे महाविदेह अने बे ऐरवत, मलीने.न खेत्र तथा तेवाज नामें उ खेत्र पुष्कराईमां डे, सर्व मलीने पंदर खेत्रमा कर्मनमि मनुष्य वसे . ए दे त्रोने विषे चोवीश तीर्थकरादिक त्रिषष्टिशिलाका पुरुषो उत्पन्न थाय , तेना वर्तमान नाम, आयु तथा देहमा ना दिकनुं यंत्र या पुस्तकना अंतमा दाखल कयुंडे.
वली जंबुछीपमां, १ हिमवंत, २ ऐरण्यवत, ३ हरि वर्ष, ४ रम्यक, ५ देवकुरु,६ उत्तरकुरु, एब देत्र तथा वली एवाज नामें बेबे देत्र धातकी खंमने विषेत था बेबे खेत्र पुष्कराईने विषे ने तेथी बार देत्र धा तकीखमना तथा बार देत्र पुष्कराना तेनी साथे जंबुछीपना मेलवीयें,तेवारें त्रीश खेत्र अकर्म नमिते युगलीया मनुष्योने वसवानांबे,जेमां असीमसीअने कृषि, एत्रए प्रंकारना उद्यम नथी.ए मनुष्योनी स्थि ति विषे हालमा अढीछीपनो नकाशोडापेलो, तेनी