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कर्मनुं, तेतो शोधावा लागा ॥ एक रे० ॥ २ ॥ चरु कढाईया प्रति घणा, बीजानुं नही लेखूं ॥ खोखरी हांमी एना कर्मनी, तेतो आागल देखूं || एक रे० ॥ ॥ ३ ॥ केनां बोरु ने केनां वाबरु, केनां माय ने बाप ॥ अंतकालें जावं जीवने एकलुं, साथै पुष्यने पाप ॥ एकरे० ॥ ४ ॥ सगीरे नारी एनी कामिनी, ननी ट ग मग जूवे ॥ तेनुं पण कांई चाले नही, वेठी धूसके रुवे ॥ एक रे० ॥ ५ ॥ वाल्हां त वाल्हां शुं करो, वाल्हां वो लावी वलशे | वाल्हां ते वननां लाकडां, तेतो साधें जी बनशे ॥ एक रे० ॥ ६ ॥ नहीं तापी नही तुंबडी, नयी तरवानो यारो ॥ उदयरतन प्रभु इम नणे, म ने पार उतारो | एक रे० ॥ ७ ॥ इति ॥
॥ अथ मल वर्जन स्वाध्याय ॥ कंत तमाकू परिह || ए देशी ॥
॥ श्रीजिनवाणी मन घरी, सहगुरु दीये उपदेश || मेरे लाल || बावीश अनमांहे कयुं, अमल न * विशेष ॥ मे० ॥ श्रमल म खाजो साजनां ॥ १ ॥ मल विगोवे तन्न ॥ मे० ॥ नंघ बगासां घेरणी, यावे
खो दिन्न || मे० ॥ ० ॥ २ ॥ अमली श्रमलने सारिखो, यावे यानंद थाय ॥ मे० ॥ उतरतां आर ति घणी, धीरज जीव न धराय ॥ मे० ॥ अ० ॥ ॥ ३ ॥ प्रालस ने उजागरो, वेगे ढबकां खाय ॥ मे० ॥
कल न कांइ उपजे, धर्म कथा न सुणाय ॥ मे० ॥ ॥ ० ॥ ४ ॥ काला हिथी ऊपनुं, नामें जे अ