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यावर पांच यावर मिठदिठि कह्या जी, बीजा सर्वे बीजा सर्वे दृष्टि होय हो । विकलें० ॥ १ ॥ ॥ द्वार बगीयारमुं ॥ ढाल चौदमी ॥ सुरती महीनानी ॥
॥ पंच यावर बि तिडीने, खचक्कु दर्शन एक ॥ चक्कु चक्कु चरिंई ने बे जाणो सुविवेक ॥ १ ॥ चक्षु चतु अवधि केवल दर्शन चार ॥ नरमां बीजे सर्व दंमकें, केवल विण त्रण धार ॥ २ ॥
॥ द्वार बारमुं ॥ ढाल पंदरमी ॥ कोई सुध लावे दिनानाथनी || ए देशी ॥
॥ त्रण त्रण सुर तिरि निरयमां, ज्ञान ने अ ज्ञान ॥ थावरमां अज्ञान वे, विकलें दो दो मान ॥ १ ॥ ज्ञान ज्ञान ल्यो उलखी, त्रण पंच प्रधान ॥ अनु क्रमें मनुजना कह्या, समजो सावधान ॥ ० ॥ २ ॥ ॥ द्वार तेरमुं ॥ ढाल शोलंमी ॥ शारद बुधदायी ॥ ए देश ॥ ॥
॥ सत्य सत्य ने मिश्र, असत्य मृषा संयोग ॥ मन वचनने योगें, आठ थया ए योग ॥ वैकियने आहारक, दारिक मिश्र सोय ॥ तैजस कार्यल साते, काय तया योग होय || नारक सुर सहुने, नुक्रमें योग इग्यार ॥ तेर तिर्यचने जाणो, नरने पंदर निरधार || विकलेंड़ीने चार वली, वायुकायने पंच ॥ त्रण थावरमां जोजो, सिद्धांतें ए संच ॥ १ ॥ ॥ द्वार चौदमुं ॥ ढाल सत्तरमी ॥ सोहमपतिज ॥ ए देश | ॥॥
॥ त्रण ज्ञानजी, ज्ञान पांचनी श्रावली ॥ चार दर्शनजी, उपयोग बार सदुमली ॥ मानवमांजी, बा