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।। ग्रेवीशमा मित्रता होहा ॥
सम सोगुह सर्व भांलयां, सेव्या व्यसनन जागा सास योज गोजी कुरी, यांपे मुजमें कार ! ॥ डीपर मुहगर, मारता, भूड़े मछोटी पोड करता किस यत्यो नही खेम आहे यम् सांआशा योधुव्रतन साहरी, जीयो शीसनो एंड ए पमाधामी तेहने मारे मुदर हंड।। 31 मेवा व्यसनने संवता: पामे पेड़ हवास ॥
।। योबीशमाथित्रना होता ।।
हा रोड़ कर हंडिया रान हुकुम मह छोता। नई नरामा उपन्यो, माथे घरी कशेन ॥था खग्नी तपाँवी घर नियें, अर्ध्य जसाडी धार । बेना ताएगे ताकिने, पापी करत पोडार ॥ासा
॥ पशमा सित्रना होहा ॥
रसनाधार जति सेवतो, करतो घशा पन्याय ।। वन तथा डाटाकुरी, वीर्या लागा पाय प्रथा गस डे शसी होरडे, होडावे देह मार। हिंडतो हेडे पडे, पगनी पीड उप्पार ।। धरती घुंजी खग्नि न्युं, तीजी दरवेतघार तिएा डीपर सदावतां, उरतो बहु पौहार ।। ॥ साधु ने संतापता पन उद्या रजनि घोर ।। परमाधामी हुने शंसी हेर्छ डोशा मा
॥ छवीशमामित्रना होहा ॥
उसास धर्धने पढीयां हाई लड़ी हाड़ा। पापा लयी पायीयें, नवनि वासड़ी छाड़ !!!॥ इधिर रूप में हिरा की, प्यासी खग्नि तपाया। सुमश डीने पावना, पेहन, सदीन लेयाशा मधु पाघु मानवलवे, उडचा रहेन छपत्र । तरपी पाचे लास उरी, तोहिन छूटे गयल ।आ
। सत्तावीशभागित्रनाहोहा।। -
निम्नारीने परिहरि, पर रमणीसें लर ।। सुला मेरे साधरे, घसे पाय संलार ॥शा न्युन्युं सूला जल जले यु ट्युं मेरे पुकार ।। प्रमाधामी जोलीया, ताहारा नृत्य संभार या पेजी परार्थ गोरडी, ने अनुराग घरंत ।। सूठे हाडे धन निम, जानें पेट लरंत एशा हिंसा उरीने ठूलता, लगे मशुं भाक्ष।। जेहने हिंसक गुर भन्या, पोहोच्या नरडे गोक्ष ने गुइ साली संपटी, तेहना मान्या वेए।।। लघु नरम्भां डीपनाबा शाम नहीं दोए।।। अंश पाबड़ गया घएगा, ढोंख्या जएगगज नीशा परभाधामी तेहने पण पकडीने पीर ॥
.!! सहावीशमा चित्रनाहोहा।।
सूस जर्धने लांनिया, ना सोया गुइ पास !! नही नवकमा उपन्या, जड खंडे उ-या तास !! था विष हर्ष भएरोस मारिया, रि रि क्रोधमयं ।॥ परमाधामी तेहनु, शरीर उरेशन जंडपशा