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(२५५) सर अतिथलवेशर ॥ वाला मारा। परमेश्वर एम बोले रे ॥ पर्वमांहे पजूसण मोहोटां, अवर न आवे तोलें रे ॥पातुमें नि॥१॥चौपगमांहे जेम केशरी मो होटो॥वा॥ खगमांगरुड ते कहियें रे।नदीमांहे जेम गंगा मोहोटी,नगमां मेरु लहिये रे ॥पनातुन ॥२॥ नृपतिमांजरतेसर नांख्यो॥वा०॥ देवमांहे सुरें रे॥ तीरथमां शेठेजो दाख्यो, हगणमा जेम चं रे॥ प जू॥तु ॥न॥३॥ दसरा दीवालीने होली॥वा॥ अखात्रीज दीवासो रे॥ बलेव प्रमुख बदुलाले बीजा, पण ए मुक्तिनो वासो रे ॥पजू॥तु॥न॥३॥ ते मा टेअमार पलावो॥वा ॥अहा महोचव कीजें रे॥ अहम तपं अधिकांश्यें करीने, नरनव लाहो लीजें रे ॥पजू॥तु॥न०५॥ ढोल ददामा नेरी नफेरी ॥वा॥ कल्पसूत्रने जगावो रे ॥ फांऊरना ऊमकार करीने, गो रीनी टोली.मत्ती आवो रे ॥पजू० ॥ तु॥नम् ॥६॥ सोनारूपाने फूलडे वधावो ॥ वा० ॥ कल्पसूत्रने पूजो रे ॥ नव वखाण विधियें सांजलतां, पापमेवासी 5जो रे ॥पजू॥७॥ तु० ॥ ज० ॥ ए अहाश्नो मेहोत्सव करतां ॥ वा० ॥ बहु जिन जगनदृस्या रे ॥ विबुध विनीत वर सेवक एहथी,नवनिधि दि सिदि वस्या रे ॥ पजू ॥ तु ॥न ॥ ७ ॥ इति ॥
॥ अथ घृतकनोल पार्श्वजिन स्तवनं ॥ ॥ घृतकनोल प्रनु पास जिणंद, अश्वसेनरायाकु ल उपना दिणंद ॥ मोरा पासजी हो लाल, प्रमुख