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हिमा कुखें हंसलो, कमल लंडन सुखकंद ॥ लाल रें ॥ ० ॥ १ ॥ वप्र विजय विजया पुरी, करे विहार नहा ह || लाल रे ॥ पूरव अरधें पुरकरें, गंधसेनानो नाह ॥ लाल रे ॥ ० ॥ २ ॥ कागल लिखवो कारमो, यावे जो दुर्जन हाथ || लाल रे ॥ श्रण मलवुं रं तरें, चित्त फि तुम साथ ॥ लाल रे ॥ जु० ॥ ३ ॥ किसी इसारत कीजियें, तुमें जाणो बो जग जाव ला ल रे || साहिब जाए जानें, साहामुं करे प्रस्ताव ॥ लाल रे ॥ ० ॥ ४ ॥ खिजमतमां खामी नहिं, मेल न मनमां कोय ॥ लाल रे ॥ करुणा पूरण लोयणें, साहामुं कांति न जोय ॥ लाल रे ॥ ॥ ५ ॥ संगो मोहोटा तणो, कुंजर ग्रहेवो कान ॥ लाल रे ॥ वाचकज स कहे वीनति जति वशें मुऊ मान ॥ लाल रे ॥ जु० श्री ईश्वर जिनस्तवनं ॥
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॥ किसके चेले किसके पूत || ए देशी ॥ नृप ग जसेन जशोदा मात, नंदन ईश्वर गुण अवदात ॥ स्वामी सेवयें ॥ पुरकरवर पूर्वारिध कब, विजय सु सीमा नयरी अब ॥ स्वा० ॥ १ ॥ शशि लंबन प्रभु करे रे विहार, राणी नावतीनो नरतार ॥ स्वा० ॥ जे पामे प्रजुनो दीदार, धन धन ते नरनो अवतार ॥ स्वा० ॥ २ ॥ धन ते तन जिन नमियें पाय, धन ते मन जे प्रभु गुण ध्याय ॥ स्वा० ॥ धन जे जिहां प्रजुना गुण गाय, धन ते वेला जब वंदन थाय ॥ स्वा० ॥ ३ ॥ ण मिलवे उत्कंठा जोर, मिलवे विरह तपो