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(ए ) गहे ए॥ ४१ ॥ चिंतामणि कर चढिन आज, सुर तरु सारे वंबिय काज, कामकुंन सवि वश दु ए॥ कामगवी पूरे मनकामिय, अष्ट महासिदि आवे धा मिय, सामिय गोयम अणुसरो ए॥ ४२ ॥ पणव स्कर पहेलो पजणीजें, मायाबीज श्रवण निसुणीजें, श्रीमती शोना संजवो ए ॥ देवह धुरि अरिहंत नमीजें, विनयपदु नवप्नाय थुणीजें, इण मंत्र गोयम नमो ए॥ ४३ ॥ पुर पुर वसतां कांइ करीजें, देश देशां तर कां नमीजें, कवण काज आयास करो ॥ प्रह कती गोयम समरीजें, काज समग्गल ततविण सीके, नवनिधि विलसे तास घरे ॥ ४५ ॥ चटदह सय बारोत्तर वरसें, गोयम गणहर केवल दिवसें, किन कवित नपगार करो ॥ आदिहिं मंगल एह पनपीजें, परव महोबव पहिलो लीजें, ऋदि वृद्धि कनाण करो ॥ ४५ ॥ धन माता जिणें नयधरिया, धन पिता जिण कुल अवतरिया, धन सहगुरु जिण दि रिकया ए॥ विनयवंत विद्यानंमार, जस गुण को न लप्ने पार, वड जिम साखा विस्तरो ए ॥४६॥ गौतमस्वामीनो रास नणीजें, चनविद संघ रलिया यत कीजें, सयल संघ आणंद करो ॥ कुंकुम चंदन बडो देवरावो, माणक मोतीना चोक पुरावो, रयण सिंहासण बेसणुं ए॥४७॥ तिहां बेसी गुरु देसना देसे, नविक जीवनां काज सरीसे ॥ उदयवंत मुनि इम जरो ए॥ गौतमस्वामी तणो ए रास, जगतां