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न पाठावली)
पाठ नौवां marlesaran
दसण-सम्मत्तं ( दर्शन के अतिचारो की आलोचना का पाठ )
मूलपाठसण सम्मत्तं
परमत्थसथवो वा मुदिट्टपरमत्यसेवणा वा वि । वावन्नकुदमणवज्जणा य सम्मत्तसद्दहणा ।। अरिहतो मह देवो जावज्जीवाए सुसाहुणो गुरुणो । जिणपप्णत्त तत्त इअ सम्मत्त मए गह्यि ।।
एअस्स सम्मत्तस्स समणोवासएणं इमे पच अइयारा पाला जाणियन्वा, न समायरियव्वा । तं जता--
(१) सका (२) कंखा (३)दितिगिच्छा (४) परपासंडसंसा (५) परपासंडसंथवो । तस्स मिच्छा मि दुवकडं ।
अर्थ
मूल सणसम्मत्तं
देव, गुरु और हिमा, सयम, तप रूप धर्म की गच्ची श्रद्रा ।
स्त्रियो को 'समणोवामियाए' का पाठ वोलना चाहिए ।