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________________ (जैन पाठावली पिता ने नल को राजगद्दी सौप दी । नल जैसे बड़े थे, . वैसे ही योग्य भी थे। राजगद्दी की शोभा बढाने लायक थे । नल के बाद का अधिकार कुवेर को सौंप कर राजा साधु हो गया । नल अब राजा हो गए । दमयन्ती महारानी हुई । वह सती स्त्री है । दमयन्ती राजा नल की परछाई की तरह अनुसरण करती थी। दोनो में इतना गाढा स्नेह है कि दूसरे गृहस्थो को यह जोडी देखकर डाह होती है । मनुष्य में कोई न कोई ऐब होता ही है मगर ऐव अगर छोटा होता है तो किसी वडे गुण के कारण वह छिपा रहता है या दूर हो जाता है। नल मे भी एक ऐव था और वह वडा ऐव था। उस ऐव का नाम है जुआ । जुआरी झूठा हो जाता है । उसमें चोरी करने का दुर्गुण भी घुस जाता है । वह कुसगति मे पड कर भक्ष्य-अभक्ष्य का मान भूल जाता है और फिर बडे-बडे पाप करने लगता है इस कारण ज्ञानी पुरुप कहते हैं-जुआ एक बड़ा भारी कुव्यसन है । झगडा बढाने वाला है । वर्वादी करने वाला है । जीते जी आवरू को मिट्टी में मिला देता है और मरने के बाद नरक में ले जाता है। कभी-कभी मौका पाकर दमयन्ती अपने पति को यह मव बात समझाती थी। मगर गहराई तक पहुंचे हुए इस कुव्यसन को नल छोड़ नहीं पाता था ।
SR No.010283
Book TitleJain Pathavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
PublisherTilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
Publication Year1964
Total Pages235
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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