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________________ १०१ जैन धर्म का ईश्वरवाद कसा ? वणं, गन्ध, रस, स्पर्श, सहनन, सठान प्रादि नहीं हैं व जिनके कोई लिंग नहीं है-वे सिद्ध हैं । उनके न राग है, न द्वेष । किसी प्रकार का कर्म फल जिनके संलग्न नहीं है । उन्होने आत्म-स्वरूप की उज्ज्वलता के बाधक प्रष्ट कर्मों को नष्ट कर दिया है और जो शुद्ध प्रात्म-स्वरूप मे स्थित हो गये है। सिद्ध शब्द का शब्दार्थ भी यही हैसिज बन्धने एवं ध्या अन्निसयोगे धातुरो से यह शब्द बना है जिसका अर्थ होता है कि प्रकृति के समस्त बन्धनो को नष्ट करने वाले । इस प्रकार जैनधर्म मे सिद्ध ईश्वर उन प्रात्मानो को माना गया है जो अपने स्वरूप की परमोज्ज्वलता को प्राप्त कर ससार से समस्त बन्धनो से विमुक्त हो निराकार आदि निर्बन्ध रूप मे प्रतिष्ठित हो गई है। उन प्रात्माप्रो का ससार से कोई सम्बन्ध नहीं रहता, वे ससार की किसी भी प्रवृनि को प्रेरित नहीं करती। दूसरा प्रकार है मुक्त ईश्वर का { मुक्त ईश्वर वे प्रात्माएँ हैं जिन्होने गगेगे मे रहते हुए अपने समस्त विकारो के कलुप को धो डाला है । काम, प्रोध का जिनमे प्रश भी नहीं है-राग द्वेष की भावना को समूल नष्ट कर दिया है । जानावरणीय, दर्गनावरणीय, मोहनीय व अन्तराय कर्मों को क्षय करके जिन्होने अपनी प्रात्मा के अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन एव अनन्त शक्ति को प्रकाटित कर दिया है। ऐसे महापुरुष जो सर्वज्ञ व सर्वदर्शी हैं तथा स्वस्वरूप मे रमण करते है, वे मुवन ईश्वर हैं या जिन्हे जीवन मुक्त कह दें । भगवान् महावीर प्रादि तीर्थ दर इसी भूमिका पर थे । नमस्कार मन्त्र मे पहले पद पर जिन अरिहतो को नमस्कार किया है वे हैं मुक्त ईश्वर और दूसरे पद पर जिनको नमस्कार किया गया है वे है सिद्ध ईश्वर । सिद्ध ईश्वर के स्वरूप को प्रभाशित करने वाले भी मुक्त ईश्वर ही है अत. उनका पद पहला रखा गया है। तीसरे, बद्ध ईश्वर ससार की समस्त प्रात्माएं हैं जो चार गति चौरासी लाख जीव योनियो मे विखरी हुई है। बद्ध याने कर्मों से वघा हुना। ये ससार की समस्त श्रात्माएँ काम, क्रोध, लोभ, मोह, राग द्वेष प्रादि के कारण अपने प्रात्म स्दम्प को भूली हुई है और पाठो प्रकार के कमों का वध करती
SR No.010275
Book TitleJain Sanskruti ka Rajmarg
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshlal Acharya, Shantichand Mehta
PublisherGanesh Smruti Granthmala Bikaner
Publication Year1964
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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