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जन पूजांजलि आत्म भूत लक्षण सम्यक दर्शन का स्वपर भेद विज्ञान । ममकित होते ही होती है निर्विकल्प अनुभूति महान ॥
चलो रे भाई मोक्षपुरी गाड़ी खड़ी रे खड़ी रे तैयार चलो रे भाई मोक्षपुरी ॥ सम्यकदर्शन टिकट कटाओ, सम्यकज्ञान संवारो। सम्यक्चारित की महिमा से आठों कर्म निवारो॥ चलो रे... अगर बीच में अटके तो सर्वार्थसिद्धि जाओगे। तैतीस सागर एक कोटि पूरव वियोग पानोगे । चलो रे... फिर नर भव से ही यह गाड़ी तमको ले जाएगी। मुक्ति वधू से मिलन तुम्हारा निश्चित करवाएगी ॥ चलो रे... भव सागर का सेतु लांघकर यह गाड़ी जाती हैं। जिसने अपना ध्यान लगाया उसको पहुंचाती है । चलो रे... यदि चूके तो फिर अनंत भव धर धर पछताओगे। मोक्षपुरी के दर्शन से तुम वन्चित रह जानोगे । चलो रे...
चलो रे भाई सिद्धपुरी देखो खड़ा है विमान महान, चलो रे माई सिद्धपुरी ॥ वायुयान आया है सीट सुरक्षित अभी करालो। सम्यकदर्शन ज्ञान चरित के तीनों पास मंगालो ॥ देखो.... नरभव से ही यह विमान सीधा शिवपुर जाता है। जो चूका वह फिर अनन्त कालों तक पछताता है। देखो... रत्नत्रय की बर्थ संभालो शुद्धभाव में जीलो । निज स्वभाव का भोजन लेकर ज्ञानामृत जल पीलो॥ देखो... निज स्वरूप में जागरूक जो उनको पहुंचाएगा। सिद्ध शिला सिंहासन तक जा तुमको बिठलाएगा ॥ देखो... मुक्ति भवन में मोक्ष वधू वरमाला पहनाएगी । सादि अनंत समाधि मिलेगी जगती गुण गाएगी ॥ देखो...