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________________ [४] हम शांति काम कर सक्त हैं । आजका संघर्षशील और अशांत संसार तो हम सधु पुरुषके उपदेशोंपर ही चल कर सुख शांति प्राप्त कर सका है। -डा. राजेन्द्रप्रसाद मती भ० महावीरस्वामी जैनधर्मको पुनः प्रकाश लाये। वे २१ वें अवतार थे, इनके पहिले ऋषभ, नेमि, पार्श्व आदि नामके २३ मातार और हुवे हैं, जो कि जैनधर्मको प्रकाशमें लाये थे, इस प्रकार इन २३ मवतारोंके पहिले भी जैनधर्म था, इससे जैनधर्मकी प्राचीनता सिद्ध होती है। -स्व० लोकमान्य तिलक। महावीरका सन्देश हृदयमें भ्र तृभाव पैदा करता है। --हिज एक्सरसी सर कर हैदरी गवर्नर, आसाम । मानदतःकी बुनियाद पर स्थित हुई विश्वधर्म-भावना भडिमा पौर प्रेमके आधार द्वारा प्रबट करना यह " श्री महावीर " का देश्य समझाना है। -श्री जी० बी० मावलंकर प्रेस डे ट लेजे० एसेम्बली । अहिंसा और सर्वधर्म समभार जैनधर्म के मुख्य सिद्धान्त हैं। -~-मर जनक राय बहादुर ठा• अमरसिंह गृहमंत्री जयपुर । माजकरके बिगड़े हुवे वातावरणमें जबकि जातीय भावनायें अपना भयंकर रूप धारण कर देशको हिंसाकी ओर ले जा रही है तब 4. महावीस्की अहिंसा सर्व धर्मकी एकताका पाठ पढ़ाती है। ---श्री पं० देवीशंकरजी तिवारी Hari-anger
SR No.010260
Book TitleJain Dharm par Lokmat
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages17
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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