________________
[१०] जैनमत तबसे प्रचलित हुआ, जबसे संसारमें सृष्टिका भारम्भ हुआ। मुझे हमें किसी प्रकारकी भापत्ति नहीं है कि जैन धर्म वेदान्तादि दर्शनों से पूर्वका है।
-डॉ. सतीशचन्द्र प्रिन्सिपल संस्कृत कोलेज, कलकला।
आर्योंके भारत आगमनसे पूर्व भारतमें जिस द्रविड सभ्यताका पचार हो रहा था, वह वास्तधमें जैन सभ्यता ही थी। जैत समाजमें बब भी द्रविड संघ नामसे एक अलग धार्मिक आमाय मिलती है।
-घर षण्मुखम् चेट्टी। __ यद्यपि वेदों में पशुबलिको स्वर्ग प्राप्तिका साधन बतलाया है, तथापि उस समयके जैन मुनियों के प्रभार से कुछ तो परिवर्तन हुभा ही। महात्मा तीर्थकरों के अहिंसा तत्वज्ञानका संसारमें बोलबाला हुमा। पनिषदोंमें जैनियों का प्रभाव मानः दृष्टिगोचर होता है।
___ ---हाईकोर्ट जस्टिस सर नियोगी । मुझे जैन तीर्थों की शिक्षा पर अतिशय भक्ति है।
-नेपाल चन्द्रराय अधि० शांतिनिकेतन । अब तक मैं जैन धर्मको जितना जान सका हूं मेग हद विश्वास हो गया है कि विरोधी जन यदि जैन साहित्यका मनन कर लेगें तो विरोध काना छोड़ दें । -डा० गंगानाथ झा, एम. ए. डी. लिटो ।
वैदिक साहित्यमें ऋषभ नेमि आदि नाम प्रसिद्ध हैं, जैनधर्म अनुयायी निन्य कहे जाते थे।
-डा० विमलभरण ला।