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श्री जिनेन्द्राय नमः।
मानिकबिलास ॥
Okerto
१ पद-गग ठुमरी ॥ चलो भवि पावापुर में पूजन को जिन राज ॥टेक ॥ जहां वसुविधि हरि शिवत्रिय पाई महावीर महाराज ॥ चलो० ॥१॥ जिन के दर्शन ते अघ विनसत दरशत शिवमग साज । वसुविधि पूज रचाय गाय गुण कोजे आतम काज ॥ चलो० ॥२॥ वे प्रभु दीनदयाल जगत गुरु राखत जग की लाज। मोनिक या भवदधि अथाह में वे प्रभु धर्म जहाज ॥ चलो० ॥३॥