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पहला अंक
(परदा उठने के पूर्व नेपथ्य से चर्या-पाठ)
अप्पा चेव वमेयव्यो अप्पा हु खलु दुइमो। अप्पा दन्तो सुही होइ अस्सि लोए परत्थ व॥
(उत्तराध्ययन १-१५)
[अर्थात् पहले अपना ही दमन करना चाहिए, यही सबसे कठिन
कार्य है। ऐसा व्यक्ति जो स्वयं का दमन करता है, वह लोक और परलोक में सुखी होता है।