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झटपट तीव्र वेग से चलकर
वह बिहार मे आया। शीश झुकाकर प्रभु के आगे
अपना कष्ट सुनाया।
प्रभु के पास गेप था अव तो
देव दूष्य-पट केवल । उसको आधा चीर तुरत ही।
दिया सोम को सम्बल ॥
हर्षित होकर सोम वहाँ से
घर मे अपने आया। वस्त्र दिखाकर, पत्नी से वह
वोला-"देखो, लाया ।
मैं क्या जानूं कैसा है यह
कैसी इसकी लीला। प्रभु ने खुद ही मुझे दिया है
अपना पर चमकीला ॥"
96/ जय महावीर