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महावीर की महा प्रसादी
कह-कह कर सब लेते। सबकी इच्छा सरल भाव से
पूर्ण तुरत कर देते।
विनय-सहित सब ले लेते थे
महावीर जो देते। कोई प्रश्न न उठता मन मे
जव प्रसाद वे लेते ।।
महावीर
की
महाप्रसादीसबके सुख की दाता।
धनवालाक्षण मे ही बन जाता।
पाकर निर्धन भी
एक वर्ष की कठिन साधना
पूरी जव हो आई। किरण विमल फूटी अम्बर मे
जन-जन की सुखदाई ।।
78 / जय महावीर