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दोनो ने मिल कर उस राक्षस
___ को था तुरत भगाया। फिर तो शान्ति चतुर्दिक छाई
सबका मन मुस्काया ।।
सबने खुशी मनाई मन मे
नयी लहर लहराई। सबने प्रभु के विमल गुणो की
कीर्ति समुज्ज्वल गाई ।।
प्रभु के धैर्य-ध्यान की गाथा
स्वय इन्द्र थे गाते। इन्द्र पुरी की देव - सभा मे
सवको स्वय सुनाते ॥
सुनकर सगम देव परीक्षा
प्रभु की लेने आया। विकट पिशाची रूप वरन कर
ऊधम खूब मचाया।