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इसका आधा जहाँ पडा है
दे दो यदि तुम लाकर । सच कहता, सब कष्ट मिटेगा
उमको ही बस पाकर।
लाखो मुद्रा तुम्हे मिलेगी
जीवन सुखद बनेगा। ऐसे तो यह आधा ही है
कैसे कोई लेगा।"
तुरत सोम से सब कुछ कह कर
बोली-अब तुम जाओ। प्रभु को अपनी विनय सुनाकर
आधा पट ले आओ।
सोम गए, फिर झट से प्रभु के
आगे शीश नवाया। लेकिन कोई शब्द न फूटा
वात न कुछ कह पाया।
98 / जय महावीर