SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Bisapanthi Dig: Jain Temple Granth Bhandar Nagaur . . [123 Extent: No.5" - Ref. No. 746/B CHATURVINSATI JIN STAVAN Author : - X Size .... -133"x6" -4 Folios. .. Description -Country paper, rough and greyish; Devanagari characters in big, bold, legible and good hand-writing; borders and edges ruled in three lines, the condition of the manuscript is fair; it is a complete work; written in Hindi verse. Date of the Copy --Asoja Badi 6, Friday, V.S. 1754 Subject -STOTRA Begins -अथ चतुर्विशंति जिनस्तवन । सर्वया-प्रथम जिनंद चंद सुख कंदनाभिनन्द वर्ण इद पाय परिविंद से। मन भायजू । आदि उत्पत्ति तिथि, गति मति प्रगट करन हरि सकल संसारे सुख दायजू । कंचन वरण तन, वृषभ लक्षन, धनुष पांचसे शरीर वीर धीर गिरि रायजू । कहे जिन हर्ष निताजी जिनराज आज भवसिंधु को जिघज ऋषिभ कहायजू ॥१॥ दूसरो अजितनाथ सुगतपुरी के साथ जाके नाम ठाम ठाम नवनिधि पायो है। जितशत्रु विजया को नंद मुखचंद बिम्ब कंचन सी ज्योति तनु शधिक सुहायो है। परम कृपाल सुरशाल सुकुमाल भाव अद्वितीय अहि मसि शिव साल सुर नर गायो है । मातन के पेट रहयो तात जू मनाई हार ताते जिन हर्ष सूअजित कहायो है ॥२॥ संभव नाथ अनाथ को पीहर, संकट कोटि निकट हरै। जाके नाम गहे वृत्ति मतंग जपंत्रि हम हण हसंति मिले सु परै । चतुरंग महावल सैन्य परै बल भील मुलक समाल भर । मनवांछित पूरण काम हुवा जिन हर्ष नमों कर जोरि करै ।। ३ ॥ तारक नाम कहावत काहे को तारयों मैं को उन देख्यौ हे ते तों। तारत है अपनी करणी सद लोकन को प्रभू जानत मैं तों। . मो गुन ही को निवास है साहिब तीन सुवन सुजस लहे तो । श्री अभिनन्द पाऊं गहै जिन हर्ष तिरै भवि हाथ गहै तो ।। ४ ॥ तेरो मुख दिनकर करत बराबरि, सो मूढ़ मति कछुअन समझत ज्ञान में । अरू वांकी ज्योति सहि जात नहीं नैनन शरीर तेज देख तेरो भया हं नरान में । ग्रह वांकू राहू दुःख देत है पर वध्यो पेती तेरी सेव करे रहे अपने सध्यान में। सुमति के दाता जिन हर्ष सुमतिनाथ प्रभू, जैसो सुर कोऊ और देख्यो नहीं आन में ॥५॥
SR No.010254
Book TitleJaipur aur Nagpur ke Jain Granth Bhandar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherUniversity of Rajasthan
Publication Year
Total Pages167
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy