________________
Saraswati Bhawan Bada Mandir Granth Bhandar
No. 6
Author
• Size
Extent Description
Date of the
Copy
Subject
Begins
Ends
NEMINATHA RASA
-JINASENA
-10" X 5"
-4 Folios.
Country paper, very thin, rough and white; Devanagari characters in very small, legible and good hand-writing; borders ruled in two lines in black ink, red chalk used, edges of almost every fol. Slightly worn out; the condi• tion of the work is on the whole good; it is a complete work, written in Rajasthani.
(103
-V. S. 1551
--RASA
- अथ
श्री नेमीनाथरास
लिख्यते ।
सारद समिरिण मांगू माने, तुझ चलो चित्त लागू व्याने । अविरल अक्षर आलुदाने रे, मुझ मूरख मति श्राविसांन रे । गाउ राजा रलीया मरण रे, यादवना कुल मंडरा सार रे । नामि नेमीश्वर जारिण ज्यो रे, तसु गुरण पहुविन लाभि पार रे ॥ - श्रीयश: कीरति सूरति सूरीश्वर कही । महीयलि महिमा पार न लहीइ । ज्ञातरूप वरसि नितवाणी । सरस सकोमल अमीयस मारणी ।
रास रे ।
तास चलरंग चिंतलाई उरे । गाइउ एंह अपूरव जिनसेन युगति करी रे । तेहरा वयरणं तराउ वासरे | जारिण जल निधि तवसी नीरे । जा लगि अचल मेरि गिरि धोरे । जागरणणणं सि चदंनि सूर रे । तां लगि रास रहूं भर पूरि रे । युगति सहित यादव तर रे । भांव सहित भरांसि भरतारि रे । तेहनि पुण्य होसि घणो रे । पाप तणु करसि परिहारि रे । चंद्रवण संवच्छर कीजि। पंचारणु पुण्य, पासि दीजि । माघ सुदि पंचमी भगीजि रे । गुरुवारि सिद्ध योग उवीजि रे । जुवा धनुष रज्जरिए जारणीइ के रे । तीर्थंकर वली कहीइ सार रे 1
J
शांतिनाथ तिहां सोलमु रे । कन्दुराम तेह भवरण मझारे रे ।। 'इति श्री नेमिनाथरास श्राचार्य जिनसेन कृत समाप्तः ।