________________ 42 . श्री शांतिनाथनो रास खंमो . 443 परि जिनदत्तकथानक चतुर्थव्रतोपरि करालपिंगलपुरोहितसंबंध पंचमत्र तोपरि सुलससंबंध पठनते स्वयंचदेवसंबंध सप्तमव्रतोपरि जितशत्रुनृपनि त्यमंमितानारीदृष्टांतनिरूपण अष्टमव्रते समृध्दत्तसंबंधोपदेश नवमव्रते सिंहावकावदातवर्णन दशमदेशावकाशिकवते गंगदत्तसंबंधवर्णन, एकादश पोपधव्रतोपरि जिनदत्तसंबंध हादशवतोपरि शूरपालनृपसंबंधवर्णन इति श्रावतसंवधकथनानंतर गुध्यतिधर्मस्वरूपश्रवणतः प्रतिवुश्चक्रायुधन पचारित्रग्रहण गणधरपदस्थापन हादशांगिरचन पाश्चात्यपौरुषसंघस्याये गणधरदेशनासमर्पण तन्मध्ये अंतरंगस्वरूपकथन, तपरि रत्नचूडसंबंधनि रूपण तउपनयमेलन तदनंतर प्रविहारावसरे चतुस्त्रिंशदतिशयवर्णन प्रनुपरिवारसंख्याकथन अष्टमहाप्रातिहार्यवर्णन आयुधसंबंधमिलन निजा युरवशेपवदुपरिवारेण सम्मेतगिरिगमन तत्र चतुःषष्ठिसुरेंमिलन प्रनु देशनाश्रवण तन्मध्ये सिस्वरूपवर्णनावसरे सिघसुखष्टया वनचरसंबं धकथन तदनंतर नवशतकेवलज्ञानिसाधुनिरनशनविधान निर्वाणपदप्रा पण निर्वाणकल्याणिकोत्सवकरण तदनंतर चक्रायुध गणधरकेवलोप्तत्तिव न देशनायां त्रिंशन्महामोहस्थापननिरूपण अनेकजव्यजीवप्रतिवोधन कोटिशिलातीर्थगमन तत्र मुक्तिपदप्रापण कोटिशिलातीर्थस्तवन शांति जिनराजस्तुतिमाहात्म्यवर्णनायनेकसंबंधोपटंहितः पष्ठः खंमः समाप्तिम गमत् // तत्समप्तो च समाप्तोऽयं शांतिजिनरासः // शुनं नवतु श्री श्रमणसं घस्य // गुनं स्तानेखकपाठकयोः॥ सर्वगाथा // 22 // प्रस्ताविक श्लोक तथा गाथा // 7 // प्रथम खमे ढाल // 1 // द्वितीयखमे ढाल // 30 // तृतीयखमे ढाल // 33 // चतुर्थखमे ढाल // 3 // पंचमखमे ढाल ॥३॥पष्ट खेमे ढाल // 1 // सर्वस्मिन् नूत्वा ढाल // 13 // प्रथमखमे गाथा // 43 // वितीयखमे गाथा // 2 // तृतीयखमे गाथा // 35 // चतुर्थखंभे गाथा // 10 // पंचमखमे गाथा // 11 // पष्ठखमें गाया // २२ए / सर्व स्मिन् सूत्वा गाथासंख्या ॥६५७३॥प्रथम खेमे प्रस्ताविक श्लोकगाथा // 4 // हितीवरखमें प्रस्ताविक श्लोक गाथा // 20 // तृतीवरखंमें प्रस्ताविक श्लोक गाथा // 6 // तुर्यखमे प्रस्ताविक श्लोक गाथा // 42 // पंचमखमें प्रस्ताविक लोक गाथा // 63 ॥पष्टव में प्रस्ताविक लोक गाथा //