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श्री शातिनाथनो रास खेम बहो. ४२३ एणी वार ॥ मो० ॥ तेडी लावी एहने रे माता, ए ने मुझ आधार ॥ मो० ॥ ५॥ एहवे वणिक ते आवियो रे जोजो, प्रणमे अक्का पाय ॥ मो० ॥ वात कही रत्नचूडनी रे जोजो, धुरिहूंती समजायः ॥ मो० ॥ ॥ ६॥ ग्रयुं करियाणक एहनुं रे जोजो, अम्हें करी कूड उपाय ॥ मो० ॥ कहे अक्का तुम अम्हमां रे जोजो, कोडी लान न थाय ॥ ॥ मो० ॥ ७ ॥ ते कहे केम अमने कहो रे जोजो, सा कहे नांरव्यु
आम ॥ मो० ॥ तुम चिंतित करियाणगुं रे जोजो, पूरझुं यान निकाम ॥ मो० ॥॥ ना अनेक प्रकारनी रे जोजो,कहेशे मशकने हाड मो॥ पूरो ए प्रवहण माहरू रे जोजो, तो केम पूरशो लाड ॥ मो० ॥ए॥ चार वणिक तब बोलीया रे तेहने, एवडी किहांथी बुद्धि ॥ मो० ॥ कहे अक्का मत जाजो रे नाइ, बाल माटे निर्बुदि। मो० ॥ १० ॥ ए धूरत पुर आवियो रे होशे, तेह धूरत शिरदार ॥ मो० ॥ कोश्क माथानो मिले रे नो हे, सघला एक प्रकार ॥ मो० ॥ ११ ॥ लान थायजो तुम्ह ने रे नाई, तो होय मुफनें लाह ॥ मो० ॥ पण मनमांमम राखशो रे नाई, मनडामांहे चाह ॥ मो० ॥१॥ तेह गया निज मंदिरें रे आव्यो, कारुक दोडी ताम ॥ मो० ॥ विकसित मुख बोले हसी रे अक्का, आज थयुं मुफ काम ॥ मो० ॥ १३ ॥ आज व्यवहारी आवियो रे कोड, नेट उपानह कीध ॥मोण॥ करिश खुशाल ढुं तुमने रे तेणें, एहईं वचन मुज . दीध ॥ मो० ॥ १४ ॥ तस सर्वस्व लीधे सही रे थायुं, ढुं खुशाल दिल माहे ॥ मो० ॥ ए कहेवाने धावियो रे पासें, तुमचे धरि उत्साह ॥ मो० ॥ १५॥ कहे अक्का सुण कारुया रे कीजें, मनोरथ आप समान ॥ मो० ॥ अजुगत एह, मागतां रे माथे, पडशे ताहरे उपान ।। मो० ॥ १६ ॥ कहेशे ए नरिंदने रे दूळ, मंदिरमा सुत आज ॥ मो० ॥ तुं खु शाल किंवा नहीं रे त्यारे, आफरडो आवीश वाज ॥ मो० ॥ १७ ॥ .. ते पण सुणि विलखो थइ रे पाबो, आव्यो निज घरवार ॥ मो० ॥धू . रत एकहग आवियो रे करतो, आपणो गुण विस्तार ॥ मो० ॥ १७ ॥ यमघंटा वोली हसी रे कूडी, ताहरी शी ए बुद्धि ॥ मो० ॥ आगलथी धन आपीयु रे मातुं,कीg किहां गइ शुद्धि ॥ मो॥ १५ ॥ कहे तस धन लेवा तणो रे ए में, कीधो सत्यंकार ॥ मो॥ कहे अक्का ण वातथी रे व