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श्री शांतिनाथनो रास खेम बहो. ४५ नवि लहे, प्रथमगुणवाणीया बोधि रे॥ हा ॥ ६ ॥ हवे शुरपाल ते 'चालीयो, जोवतो गिरि वन नाम रे ॥ अनुक्रमें नयर एक आवियु, महा शाल जेह नाम रे ॥ हा ॥ ७ ॥ जंबुतरु हेवल विश्रम्यो, वसन ना खी धरापीठ रे ॥ शयन कीg अमातुर जणी, उघ यावी अति मीठ रे - ॥ हा ॥ ॥ तास प्रनाव तरुनायडी, तेम रही दिवस मध्याह्न रे ।। अहो थहो पुण्य प्रगट दुयुं, ते सुपो सदु सावधान रे ॥ हा ॥ ए ॥ ते ह नगरी तयो राजियो, काल पहोतो ततकाल रे ॥ पंचदिव्य मंत्री य विवालियां, पुरमाहे फरे उजमाल रे ॥ हा० ॥ १० ॥ जाग्यने योगें ति हां थावीया, पोढीयो जिहां शूरपाल रे ॥ हाथीय कलशलो ढालियो, जागीयो जाग्यविशाल रे ॥ दाम् ॥ ११ ॥ हरखी हेपारव हब करे, चा मर बत्र धरंत रे ॥ गजवरें खं| वेसारियो, बंदीजन विरुद्ध उजरंत रे ॥ हा० ॥१२॥ सर्व सामंत श्रावी नम्या, देखीयो लणवंत रे ॥ स्वामी श्र मनाग्य बल ए कयुं,मलीयो तुं गुणवंत रे । हा०॥ १३ ॥ धाविया बहु तथावरे, वाजते हर्प निशाण रे ॥ स्वामी अमचा घणुं जीवजो, वरस कोडाकोडि मान रे ॥ हा० ॥ १४ ॥ एम थाशीप दिये गोरडी, धवल गा ती सुकुमार रे ॥ करिव अनिपेक बेसारियो, तरन्त कपर ततकाल रे ॥ दा० ॥ १५ ॥ वखत फलियो बलें वाधीयो,सीमना सविनम्या राय रे ॥ सवन धरा धिंग यइ जोगवे, प्रवल जस पुण्य सरवाय रे ॥ दा० ॥ १६ ॥ एक दिन नारी तस सोनरी, निसयो जेहने काजरे ॥ स्वजन सद्धको वलीसांनयां, चिंतवे एम नरराज रे ॥हा॥ १७ ॥ मादरी प्राथ श्या कामनी, जोगवू एकलो ग्राम रे ॥ पूरखं जो नहिं नारीनां, सकल मनोवांवित काम रे ॥ हा० ॥ १७ ॥ यतः ॥ किं तया क्रियते लक्ष्म्या , विदेशागतया ननु । धरयों यां न पश्यति, बंधुनियों न नुन्यते ॥ १ ॥ पूर्वदास ॥ एम चिंती नृपं दाय, लल्यो निजनारीने लेन्ज रे ॥ राज्य पाभ्यो पाग ताहर. पामीश सुख मुख देखि रे॥हा० ॥ १ ॥ लेख यापी नृपं मोकल्या, सेवको नेडया काजरे ॥ तुरत करनपुर ते गया. स्वागताधाविया बाज॥दा ॥ २० ॥ पण महिपाल जाधों नहिं, को एक नयग्ने लोक ॥ काज निक्षमा ने गयो. हायसी घरि मन भाकरे ॥ हा ॥ २१ ॥ तह सह कुटुंब किदां गयां, खबर नहि