SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कर्पूरप्रकर, अर्थ तथा कथा सहित. ५३ ह्मदत्तचक्री राज्य करे ने तेनो मित्र एक ब्राह्मण ने एक दिवस संतुष्ट थप ने चक्रवर्तीयें नोजन करवा माटे ब्राह्मणने कह्यं तेने ब्राह्मणे कडं महारा याखा कुटुंबनें जोजन करावो तो दुं नोजन करूं तेवारें चक्रवर्तियें काम दारा घरनुं जोजन को सहन करी शके नही तेवू ने एम घणो वाखो तो पण ते रस लोलुपतायें ब्राह्मण नोजन करवा आव्यो तिहां नोजन कर वाथी ब्राह्मणनुं कुटुंब सघलुं ग्रथिल पशुप्राय थरंगयुं तेथी ब्राह्मणने रोप चड्यो तेवारें धनुर्गोलिकाना प्रयोगथी राजानां बे चकु काहाढी नारख्यां. हवें बीजी इंश्नी कथा कहे के एक दिवस इंश् अत्यंत कामातुर होवा थी गौतमझपिनी नार्या अहव्या तापसणीने जोगववा लाग्यो एवामां गौ तमऋषियें यावी दीतुं तेणे इंने शाप आप्यो के हे उट ! तें ब्राह्मणनी स्त्री साथे व्यनिचार कस्यो, माटे तुं संहस्र योनियुक्त शरीरवालो था. पनी देव तायें पिनी प्रार्थना करी के महाराज ! एम करवाथी अमारो राजा क दरूपो लागे माटे कांक अनुग्रह करो त्यारे रुपियें अनुग्रह करीने इंश्ने सहस्त्र नयन कस्यो. या वात लोकिकशास्त्रनी चे पण अाहीं केहेवानुं का रण ए जे इंडिय लोलुपता राखवी नही राखेथी पूर्वोक्त फलनी प्राप्ति थाय डे. नाऽनर्थदंममघदं दधते महांत, एकेषुमात्रविजयीव सचेटनूपः॥ लोकस्य जाड्यहतये तरणे:प्रनाऽह्नि, तापनिदे च शशिनोनिशि नो तदत्यै ॥ ४५ ॥ अर्थः-(महांतः के० ) सत्पुरुपो, जे जे ते ( अघदं के० ) पाप दायक एवा ( अनर्थदंम के० ) अनर्थदंगने ( न दधते के ) धारण करता नथी केनी पेठें तो के जेम (सःचेटनूपः के०) ते चेटक नामा राजा (एकेषुमात्रवि जयी के० ) एकज बाणें करी विजयी थयो. अर्थात् चेटकराजा यु६ करती वखत एकज बाण मुकतो एवो नियम हतो ए वात सर्वत्र प्रसिह इहां दृष्टांत कहे जे. जेम के ( शशिनः के० ) चंमानी (प्रना के ) कांति, ते ( निशि के ) रात्रिने विपे (लोकस्य के० ) लोकना (तापनिदे के०) ता पने दवाने माटे थाय ने. (च के०) अने (तरणेः के०) सूर्यनी (प्रना के०) कांति ते (अहि के०) दिवसने विपे (जाड्यहतये के ) लोकना जाज्यने हरण करवा माटे थाय बे. परंतु ते बेदुनी कांति लोकने पीडा
SR No.010250
Book TitleJain Katha Ratna Kosh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages401
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy