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समर्पण
जिन्होंने सिद्धत्व की उपलब्धि हेतु बालब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार कर (साटिका मात्र रखकर) समस्त परिग्रह का परित्याग कर स्त्रियोचित परमोत्कृष्ट प्रायिका पद
धारण किया है जो भौतिक सुखों की वाञ्छा से सर्वथा परे हैं। जो स्वपर कल्याण की उत्कट अभिलाषा से युक्त होकर चतुर्गति रूप संसार से उन्मुक्त होने के लिए कटिबद्ध हैं। "माता बालक का हित चाहती है।"
__ --तदनुसार--- जो विश्व के प्राणी मात्र का हित चाहते हुए मोक्ष मार्ग
में लगाने वाली सच्ची 'जगत माता हैं। ध्यान अध्ययन एवं पठन पाठन में रत रहती हुई
आर्ष मार्ग पर प्रवृत्त एवं पोषक, वात्सल्य स्वरूप, हितचिंतक विदुषीरत्न, पूज्य श्री ज्ञानमती माता जी
के कर कमलों
सविनय सादर समर्पित
मोतीचंद जैन सर्राफ