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• वीर ज्ञानोदय ग्रन्थमाला संचालक-मोतीचंद जैन सर्राफ शास्त्री, न्यायतीर्थ ।
विदुषीरत्न पू. प्रायिका श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा संस्थापित जन त्रिलोक शोध संस्थान दिल्ली के अंतर्गत इस ग्रंथमाला का उदय हुआ है।
ग्रन्थमाला की ओर से प्रथम पुष्प के रूप में पू. श्री ज्ञानमती मानाजी द्वारा अनुवादित अप्टसहस्री प्रथम भाग शीघ्र प्रकाशित होने वाला है । प्रकाशन कार्य तीव्रगति से चल रहा है। यह न्याय की सर्व प्रधान प्राचीन कृति है जिसका हिन्दी अनुवाद अभी तक अनुपलब्ध था। माताजी ने अथक परिश्रम करके इसे जन-साधारण के स्वाध्याय योग्य बना दिया है । यथा स्थान भावार्थ विशेपार्थ एवं सारांश देकर ग्रन्थ को वहुन सुगम कर दिया है।
द्वितीय पुष्प “जन ज्योतिर्लोक' आपके हाथों में उपलब्ध है । इस लघु पुस्तिका की १००० प्रतियां ३ वर्ष पूर्व प्रथमावृत्ति के रूप में प्रकाशित हो चुकी हैं। पाठकों की अधिक मांग होने से इस द्वितीय आवृत्ति में २५०० पुस्तक छपो हैं । इस प्रकाशन में यथावश्यक सुधार भी किया गया है।
तृतीय पुष्प “जैन त्रिलोक" है। इसमें तिलोयपण्णत्ति, लोक विभाग, त्रिलोकसार आदि ग्रन्थों के आधार से सक्षिप्त रूप में तीनों लोकों का दिग्दर्शन कराया गया है । इसका प्रकाशन कार्य भी द्रुत गति से चल रहा है।