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प्रन्य प्रकाशक
संस्थान का परिचय परम पूज्य विदुषीरत्न प्रायिका श्री ज्ञानमति माता जी की पुनीत प्रेरणा से दिल्ली में 'जैन त्रिलोक शोधसंस्थान' 'JainInstitute of cosmographic Research' की स्थापना हुई है उसके प्रमुख ५ स्तम्भ हैं । (१) रचना (२) वाणो (३) ग्रन्थमाला (४) साघु प्रावास (५) विद्यालय ।
रचनात्मक कार्य में जम्बू द्वीप को रचना एक विशाल खुले मंदान पर निर्माण की जावेगी जिसके अन्तर्गत हिमवान महाहिमवान आदि छह पर्वत, उन पर स्थित सरोवरों में कमलों पर बने श्री ह्री आदि देवियों के महल एवं उन सरोवरों से निकलने वाली गंगा सिन्धु आदि १४ नदियां कल-कल ध्वनि से युक्त प्रवाहित होती हुई दिखाई जावंगी, जम्बू-शाल्मालि वृक्ष एवं उनकी शाखाओं पर स्थित अकृत्रिम जिन मन्दिर, विदेह क्षेत्र की ३२ नगरियाँ-जिनमें सीमंधर आदि विद्यमान तीथंकरों के समवशरण, भरत हैमवत आदि क्षेत्र, भरत क्षेत्र के ६ खण्ड (१ पार्य खण्ड, ५ म्लेच्छ खण्ड ), आर्य खण्ड में वर्तमान सम्पूर्ण विश्व का दृश्य, चक्रवतियों द्वारा ६ खण्ड विजय को प्रशस्ति लिखा जाने वाला वृषभाचल पर्वत, मध्यलोक में सर्वोन्नत सुमेरु पर्वत तथा उस पर स्थित १६ प्रक्रत्रिम जिन चैत्यालयां के मनोरम दृश्यों को शोभा का दिग्दर्शन कराया जावेगा।
इसके अलावा भगवान महावीर के प्रादर्श जोवा का एवं