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________________ 17 आपने पंचमेरु व्रत के उद्यापन के उपलक्ष्य में ४ फुट उत्तंग अत्यंत मनोज्ञ, भगवान बाहुबलि की प्रतिमा भी सनावद के दि. जैन मन्दिर में २ वर्ष पूर्व विराजमान की है। अभी पूज्य श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा संस्थापित 'जैन त्रिलोक शोध संस्थान' के अन्तर्गत निर्माण कार्य के प्रारम्भ में आपने २५ हजार रुपये की राशि दान में घोषित की है । इसके अलावा भी आप एवं आपके पिताजी आहार दान आदि के निमित्त समय-समय पर धन-राशि निकाला करते हैं। शास्त्री एवं न्यायतीर्थ के अलावा आपने पूज्य माताजी से जैन भूगोल का वड़ा हो गहन अध्ययन प्राप्त किया है। इस प्रकार आप पाँच वर्ष से मंघ की सेवा में रह कर व्याकरण, न्याय, सिद्धान्त, भूगोल, अध्यात्म आदि के अनेक ग्रन्थों का अध्ययन प्राप्त कर रहें हैं। आपके जीवन वृत्त का वर्णन अधिक न करके मैं इतना तो अवश्य कहूंगा कि आप में वात्सल्य एवं सहिष्णुता जैसे अनुकरणीय गुण विद्यमान हैं। ___ ऐसी महान आत्माओं के आदर्श जीवन से हम सबको हमेशा सन्मार्ग दर्शन मिलता रहे यही हमारी इच्छा है। रवीन्द्र कुमार जैन शास्त्री बी०ए. टिकत नगर निवासी (जिला-बाराबंकी, उ.प्र.)
SR No.010244
Book TitleJain Jyotirloka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotichand Jain Saraf, Ravindra Jain
PublisherJain Trilok Shodh Sansthan Delhi
Publication Year1973
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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