SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 263
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन जगती • परिशिष्ट था । वागभट और नागभट दोनों भाइयों ने अपनी अल्प आयु में ही अनेकों युद्ध किये थे। देखिये कुमारपाल चरित्र । __ २६६-आमात्य आंबू-यह अहिलपुर के महाराजा भीमदेव द्वितीय का सेनापति था और प्रामात्य भी रह चुका था। इसने कितनी ही बार मुसलमान आक्रमणकारियों को परास्त किया था। २६७-विमलशाह-यह गुजरातपति भीमेदेव का महामात्य था । यह बड़ा वीर और अद्वितीय राजनीतिज्ञ था। इसने अनेक लड़ाइयाँ लड़ी थीं और आबू तर्वत पर एक विशाल जैन मंदिर बनवाया था। २६५-उदयन-यह सौराष्ट्रपति महाराज सिद्धसेन का का महामात्य था । यह अद्वितीय वीर एवं नीति-प्रवीण था। इसके चार पुत्र थे और चारों पुत्र बड़े रणवीर थे। उदयन और इसके पुत्रों ने ही सिद्धराज का राज्य दृढ़ एवं अत्यधिक विस्तृत किया था। देखो मंत्री उदयन का चरित्र । २६६-शांतनु-शान्तनुशाह भी महाराजा भीमसेन का महामात्य एवं परम सहायक था। महाराजा भीमसेन को राज्याशन शान्तनु महत्ता के ही बल से मिला था। २००-मूल से नंबर लगा है। २७१-७२-देखो नं० २६८-२६६ । २७३-२७४-वस्तुपाल, तेजपाल-ये दोनों सहोदर थे और महाराजा कुमारपाल के महात्मात्य थे। दोनों भाई अपनी वीरता एवं रणनीति के लिये इतिहास में प्रसिद्ध हैं। एक समय
SR No.010242
Book TitleJain Jagti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherShanti Gruh Dhamaniya
Publication Year1999
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy