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________________ *जैन जगती * परिशिष्ट कुलकर थे । भगवान् ऋषभ से ये ७ पीढ़ी पूर्व हो चुके थे । ४ - रामचन्द्र - भगवान् रामचन्द्र को हिन्दू अवतार मानते हैं । ये सर्वत्र प्रसिद्ध हैं | शायद ही ऐसा व्यक्ति विश्व में होगा जो पुरुषोत्तम राम को और उनके जीवन को भली भाँति न जानता हो । ये जैन धर्म के आठवें बलदेव थे । अपने जीवन के शेष भाग में इन्होंने संयम व्रत ग्रहण कर मोक्ष - साधन किया था । रामके सदृश पितृ आज्ञा पालक आज तक विश्व में अन्य नहीं हुआ । ५- रावण - रावण भी जग विश्रुत है । इसने सीता का अपहरण किया था, अतः भगवान् रामचन्द्र को लंका पर आक्रमण करना पड़ा। रावण और उसके वंशज युद्ध में मारे गये और लंका का राज्य विभीषण को दिया गया। रावण दृढ़ जैन था ! शास्त्रों का प्रगाढ़ पंडित था । विशेष के लिये देखो जैन रामायण । 1 ६ - भूमी - विलोड़न - कृषि - क्रिया भगवान् ऋषभदेवने सर्व प्रथम मनुष्यों को सिखाई थी और फलतः विश्व में सर्वत्र कृषि कर्म शनैः शनैः प्रसारित हो गया । ७- नं० ५ को देखिये । -- - देव-रण- हिन्दू प्रन्थों के अनुसार देवरण सृष्टि के बहुत श्रादिमें हो चुके हैं। ६ - भगवान् ऋषभ देव ने वेद, शास्त्र, श्रुति की प्ररूपणा की थी । इन्होंने १८ प्रकार की लीपियें प्रचलित की थीं। १० - भगवान् महावीर के समय में जैन, बौद्ध एवं वैदिकमत १६४
SR No.010242
Book TitleJain Jagti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherShanti Gruh Dhamaniya
Publication Year1999
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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