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________________ (२६) को पहले पहल ब्राह्मणों का साहित्य हाथ लगा जो कि ठुस ढूंसकर पक्षपात और उपहास से भरा था । उन विद्वानों को जैन साहित्य उपलब्ध न होने से उनको जैन धर्म के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के लिये ब्राह्मणो के ग्रन्थो का आश्रय लेना पड़ा। हम पहले ही कह चुके हैं कि ब्राह्मणों से यह आशा नहीं की जा सकती कि वे अपने जैन प्रतिद्वंदियों के सिद्धांतों को पक्षपात रहित आलोचना करें। पाश्चिमात्य विद्वानों ने ब्राह्मणों के ग्रन्थों में जैन धर्म को विकृत रूप में पाया और इसालिये उनके हृदय मे जैन धर्म के विषय मे कुत्सित और घृणास्पद विचार पैदा हो गये । उन्होंने अशुद्ध सामग्री को लेकर तर्क करना शुरू किया और इसलिये वे सत्य को न ढूंढ सके। ____ अभीही कुछ वर्षों से चन्द विद्वानोंने जिनके नेता प्रोफेसर जेकोबी है हमारे कुछ ग्रन्थों की छानवीन करना शुरू की है और जैन धर्म के विषय में जो भ्रमात्मक विधान फैले हुए हैं वे कुछ अंश मे उनके द्वारा दूर हुए हैं । परन्तु अभी बहुत कुछ बाकी है । जैन साहित्य का क्षेत्र बहुत विस्तृत है और उसमें काम करनेवाले बहुत थोडे हैं इसलिये जैन धर्म के विषय मे फेली हुई गलतफहमियों को दूर करने में और उस उसके उच्च पद पर आसीन करने मे अभी अधिक समय की आवश्यकता है।
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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