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बडे बडे राजपूत राजाओ ने जैन साधुओ को बहुत से महत्वपूर्ण धार्मिक हक्क दिये थे । उनके उपायों के पास होकर कोई मनुष्य वध निमित्त पशु नहीं ले जा सकता था । बहुत से फरमानो मे से हम यहां पर केवल एक फरमान काही उल्लेख करते है जिने महाराणा श्री राजसिहजी ने नारी किया था कि जैनियो के उपाथयों के पास से कोई भी नर या मादा पशु वध करने के लिये निकाला जायगा वह अमर कर दिया जावेगा - ( याने उसे कोई जान से न मार सकेगा ) । वर्तमान मे भी कई देशी रियासतो मे इस तरह के हक हकूक आज भी चालू हैं कि जिस मुहल्ले वा बाजार में जैन लोग बसते हैं उस मुहल्ले से वध के लिये पशु नहीं ले जा सकते । अतएव साहित्य की अभिवृद्धि करके, बहुत से शक्तिशाली राजाओ को जैन धर्मावलंबी बनाकर निरपराध मूक जानवरो की रक्षा करके और देश के हर एक कोने कोने में जैन धर्म का प्रचार करके जैनो ने मानव जाति का बहुत बडा, और स्थायी कल्याण किया है। 1
जैनों का उपहास और उनपर अत्याचार | परन्तु काल की गति बडी विचित्र है । जैन धर्म शनैः शनैः राजाओ के आश्रय से हटता गया और तब से केवल छोटे से व्यापारी वर्ग मे ही रह गया । इन शताब्दियो मे जैनों में बहुत कम नामी विद्वान् हुए जिससे उसक प्रतिवादियों का बहुत कम साम्हना हुआ । जब जैन धर्माव