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(११) की समानता उनके मतको सिद्ध नहीं कर सकती, क्यों कि जैन धर्म के तत्व हिन्दू धर्म के तत्वों से कई आवश्यक बातों में भिन्न हैं। उन्होंने भूल से जैन और हिन्दू सिद्धान्तों को समान मान लिया है, इसलिए मालूम होता है कि उन्होंने इन दोनों धर्मों का अध्ययन सरसरी तोर पर किया है व उनका केवल ऊपरी ज्ञान प्राप्त किया है । असली बात तो यह है कि जैन धर्म हिन्दू धर्म से भी बहुत प्राचीन है । इस बात के हम कई प्रमाण देते हैं। जैन धर्म का अस्तित्व रामचन्द्रजी के समय में था।
१ हिन्दु पुराणों में योगवासिष्ठ और हिन्दूओं के __ बहुत से अन्य ग्रंथों में जैन धर्म का उल्लेख कई स्थानों पर
पाया जाता है।
महाभारत के आदि पर्व के तृतीय अध्याय में २३ और २६ वें श्लोक में एक जैन मुनि का हवाला दिया है। शान्ति पर्व ( मोक्षधर्म अध्याय २३९ श्लोक ६ ) में जैनों के सुप्रसिद्ध सप्तभंगी नय का वर्णन है।
रामायण में भी जैन मुनियों का उल्लेख पाया जाता है। कहा जाता है कि महाभारत ईसा से ३००० वर्ष पहले हुवा था और रामचन्द्रजी महाभारत से १००० वर्ष पहले विद्यमान थे । इसलिए यह कहा जा सकता है कि जैन धर्म,