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________________ ( २ ) इन वीरो ने शिकार, बलिदान अथवा अन्य किसी भी कार्य के लिये किसी जीवधारी की जान लेने का कड़ा प्रतिरोध करके बेचारे गूंगे जीवनधारी पशुओ की रक्षा की और सर्वत्र सुख-शान्ति व समृद्धी प्रस्थापित कर दी । आत्म-त्याग, उदारता, सत्य-प्रेम और ऐसे ही अनेक सद्गुणों के लिए, जो कि मनुष्य को वास्तव में श्रेष्ठ बना देते हैं, क्षत्रिय लोग अति प्राचीन काल से प्रसिद्ध चले आते हैं । युद्ध के संकटमय समय में भी उन्होंने सञ्चरित्रता, धीरता, आत्म-निरोध और कर्तव्य परायणता के ऐसे प्रमाण दिये हैं कि जिससे उनकी संतान उनके शुभ नामों का स्मरण बड़े ही सन्मान और आदर के साथ करती है । । इन्हीं नर-रत्नों ने जिनमें असली श्रेष्टता और महानता ठूंस ठूंस कर भरी थी; जैन तीर्थकरों जैसी पवित्र आत्माओं को जन्म दिया । इन तीर्थकरों ने असंख्य जीवों की जानें बचाई और एक ऐसे महान् धर्म का प्रचार किया कि जिसका यशोगान बेजबान जानवर भी अपनी मौन भाषा में निरंतर गाते रहते हैं । जैन धर्म के विषय में भ्रम. जिस धर्म का प्रचार ऐसे कर्मवीर योगियों ने किया है, जिस धर्म में परमोत्तम सिद्धान्त भरे पड़े हैं, जिस धर्म ने
SR No.010241
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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